दोस्तो आज की कहानी हमे विजय सिंघ सुनाने जा रहे है। ये तब की बात है जब वो एक स्टूडेंट थे और एक हॉस्टल मे रहा करते थे। उस हॉस्टल मे एक ऐसी घटना घटी थी जिसकी वजह से वो आज भी इसके बारे मे सोच के सहम जाते है।
विजय एक B.tech के स्टूडेंट थे और अपने दोस्तो के साथ अपने रूम मे रहते थे। उनके साइड वाले रूम मे एक सूरज नाम का लड़का रहता था। विजय की दोस्ती सूरज के साथ भी बहुत अच्छी थी। दोनो एक साथ खाते पीते थे और एक साथ पड़ते थे। दोनो अलग अलग जगह से आये थे। सूरज madhya pradesh का रहने वाला था। सूरज की बहन की शादी होने वली थी इसी लिये उसको अपने घर जाना पड़ा उसने विजय को भी चलने को कहा पर किसी कारण वो उसके साथ उसके बहन की शादी मे नहीँ गया।
सूरज शादी होने के बाद हॉस्टल वापस आने वाला था। सूरज के ना होने की वजह से विजय बहुत दुखी रहता था। कूछ दिनो बाद सूरज हॉस्टल वापस आगया। उसको देख कर विजय बहुत खुश हुआ। पर सूरज कुछ बदला बदला हुआ सा था। 1 सप्ताह बीत गया सूरज वैसे का वैसे ही था। वो किसी से बात नहीँ करता था। बस अपने रूम मे ही बंद रहता था। ये देख कर विजय बहुत हेरान था।
एक दिन सुबह सुबह सूरज के माता पिता हॉस्टल मे दिखे उन्हे देख कर विजय उनके पास गया और उसको नमस्ते किया। और कहा की क्या आप सूरज से मिलने आये है वो अपने कमरे मे होगा आप वही पर जा कर उससे मिल सकते है। सूरज के माता पिता को कूछ समझ नहीँ अरहा था की विजय क्या बोल रहा है। उन्होने बताया की वो तो सिर्फ उसका समान लेने आए है। विजय ने पूछा की आप उसका समान क्यू लेने आये है।
उन्होने कहा की जब सूरज ही नहीँ रहा तो उसका समान यहाँ क्या करेगा। विजय ये बात सुन कर कूच चौक सा गया। उसने कहा की आप लोग ये क्या कह रहे है। उन्होने बताय की बेटा सूरज की तो car accident मे मौत हो गयी थी जब वो हॉस्टल के लिये वापस आरहा था। और ये कह कर सूरज के माता पिता चले गये।
विजय भाग कर सूरज के रूम मे गया उसने देखा की वहाँ कोई नहीँ था। वो सोच मे पड़ गया की अगर सूरज की पेहले ही मौत हो गयी थी तो वो कौन था। वो सूरज की आत्म थी जो उस हॉस्टल मे आया था।
तो दोस्तो कैसी लगी ये कहानी कॉमेंट मे ज़रूर बताये।
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