आप सभी का Hindi haunted stories में फिर से स्वागत है। जैसा की आप जानते है हम आपको इस वेबसाइट के मध्यान से आपको best hindi horror ghost stories experiences आप तक पहुँचाते है। जो आपको रोमांचक और दिलचस्त लगे। उसी को देखते हुए आज में आप लोगो के लिए एक और सच्ची घटना पर आधारित कहानी लाया हूँ। इस कहानी को शुरू करने से पहले मै आप लोगो से इस कहानी को share करने का अनुरोध करता हूँ।😊
सुबह के 7:30 बज रहे थे। सुभाष और उसका परिवार अपने किराये का मकान छोड़ कर अपने खुद के ख़रीदे हुए घर के और shift कर रहा था। अपने इस घर को लेकर सब को बहुत ख़ुशी थी। और ख़ुशी क्यों न हो आखिर सुभाष ने कई मेहनत और मशकत के बाद कुछ पैसे इकठा किए थे और आखिर उसने एक घर खरीद ही लिया। ये घर उसको बहुत सस्ता पड़ा था जो की मुम्बई के एक बहुत महंगे इलाके में आता है। आखिर क्या कारण था कि ये घर उसको इतना सस्ता पड़ा।
चलिये तब तक हम आगे की बात करे। सुभाष अपने नए घर में प्रवेश कर चुका था। घर में सामान रखने से पहले वो उस घर की साफ़ सफाई करना चाहता था क्योंकि वो घर पिछले 12 सालों से बंद पड़ा था। उसने बाहर से कुछ साफ़ सफाई वालो को बुला कर घर को साफ़ करवाना शुरू करवा दिया। कुछ देर बाद एक काम करने वाला सुभाष को आवाज़ दे कर एक कमरे में बुलाता है। वो कमरा पूरा धूल मिट्टी और मकड़े के जालो से भरा पड़ा था। काम करने वाले व्यक्ति ने सुभाष को उस कमरे में पड़ा एक संदूक दिखाया। वो संदूक दिखने में बहुत सुन्दर था साथ ही साथ बहुत चमकदार भी था।
सुभाष ने उस संदूक को खोलना चाहा पर उस संदूक पर बहुत बड़ा ताला लगा था। उसने उस ताले को तोड़ने की भी कोशिश की मगर असफल रहा। उस संदूक का ताला टस से मस नहीं हो रहा था।
उसने हार मान कर उस संदूक को उस कमरे से उठवा कर अपने कमरे में रखवा दिया। उस रात वो बहुत थक गया और जल्दी सोने को चल गया। करीब रात के 2 बज रहे होंगे की सुभाष के रूम से किसी बच्चे की रोने की आवाज़ आने लगी। जिसकी वजह से सुभाष और उसकी पत्नी उसी room में सो रही थी दोनों उठ खड़े हुए। कुछ देर बाद रोना बंद हो गया लेकिन सिसकियों की आवाज़ आरही थी।
अचानक किसी की जोर से आवाज़ आई "मुझे यहाँ से निकालो, मै ज़िंदा हूँ" सुभाष की उस संदूक पर नज़र गयी । वो आवाज़ वही से आरही थी। वो डरते डरते उस संदूक के पास पहुँचा। उसको ऐसा लगा जैसे उस संदूक मे कोई छोटा बच्चा हो। सुभाष को कुछ समझ नहीं आरहा था कि आखिर वो क्या करे। वो उस रात उस कमरे से हट कर दूसरे कमरे में सोया। सुबह होते ही उसने एक ओझा को बुलवा लिया और उस संदूक के बारे में बताया। ओझा ने बताया कि इस संदूक में एक बच्चे की आत्मा कैद है। जो बहार निकलना चाहती है। सुभाष ने उस ओझा से पूछा की अब क्या किया जा सकता है। तो ओझा ने कहा कि पहले इस बच्चे की आत्मा को इस संदूक से निकालने से पहले हमें ये जानना होगा की आखिर इस बच्चे की मौत कैसे हुई। तभी मैं कुछ कर सकता हूँ।
सुभाष ने उसी वक़्त उस मकान के dealer को वहाँ बुलवा लिया और इस संदूक के बारे में पूछा । ये पूछते ही dealer ने जवाब दिया की इसी संदूक की वजह से आज तक किसी ने इस माकन को किसी ने नहीं ख़रीदा। जो भी इस मकान ने आता था वो इस संदूक से आने वाले आवाज़ से डर कर भाग जाता। उसने बताया कि करीब 12 साल पहले इस मकान में ऐसा कुछ नहीं होता था। उस वक़्त इस मकान का मालिक अपने पत्नी और दो बच्चो के साथ रहता था। अचानक ऐसा कुछ हुआ की उनका एक बच्चा रहस्मय तरीके से गायब हो गया। उसको बहुत ढूंढा गया परंतु वो नहीं मिला जिससे उसके माता पिता ने हार मान कर इस मकान को छोड़ कर चले गए।
Dealer जो बताया उसको सुन कर सुभाष के मन के कुछ प्रश्न उठे। की कही इस संदूक में जिस बच्चे की आत्मा कैद है क्या वो वही बच्चा तो नहीं जो 12 साल पहले खो गया था? और अगर वो वही बच्चा है तो आखिर इसकी मौत कैसे?
अभी तक ये राज़ बना हुआ है और जब तक ये रहस्य बना रहेगा तब तक न ही उस आत्मा को आज़ाद किया जा सकता है और न उस रहस्यमय संदूक का राज़ खुलेगा।
तो दोस्तों कैसी लगी आपको ये कहानी मुझको comment द्वारा बताए और इस कहानी को लेकर चर्चा जरूर करे। और भी भूत प्रेत की कहानी के लिए हमारा blog पढ़ते रहे।
Thankyou
सुबह के 7:30 बज रहे थे। सुभाष और उसका परिवार अपने किराये का मकान छोड़ कर अपने खुद के ख़रीदे हुए घर के और shift कर रहा था। अपने इस घर को लेकर सब को बहुत ख़ुशी थी। और ख़ुशी क्यों न हो आखिर सुभाष ने कई मेहनत और मशकत के बाद कुछ पैसे इकठा किए थे और आखिर उसने एक घर खरीद ही लिया। ये घर उसको बहुत सस्ता पड़ा था जो की मुम्बई के एक बहुत महंगे इलाके में आता है। आखिर क्या कारण था कि ये घर उसको इतना सस्ता पड़ा।
चलिये तब तक हम आगे की बात करे। सुभाष अपने नए घर में प्रवेश कर चुका था। घर में सामान रखने से पहले वो उस घर की साफ़ सफाई करना चाहता था क्योंकि वो घर पिछले 12 सालों से बंद पड़ा था। उसने बाहर से कुछ साफ़ सफाई वालो को बुला कर घर को साफ़ करवाना शुरू करवा दिया। कुछ देर बाद एक काम करने वाला सुभाष को आवाज़ दे कर एक कमरे में बुलाता है। वो कमरा पूरा धूल मिट्टी और मकड़े के जालो से भरा पड़ा था। काम करने वाले व्यक्ति ने सुभाष को उस कमरे में पड़ा एक संदूक दिखाया। वो संदूक दिखने में बहुत सुन्दर था साथ ही साथ बहुत चमकदार भी था।
सुभाष ने उस संदूक को खोलना चाहा पर उस संदूक पर बहुत बड़ा ताला लगा था। उसने उस ताले को तोड़ने की भी कोशिश की मगर असफल रहा। उस संदूक का ताला टस से मस नहीं हो रहा था।
उसने हार मान कर उस संदूक को उस कमरे से उठवा कर अपने कमरे में रखवा दिया। उस रात वो बहुत थक गया और जल्दी सोने को चल गया। करीब रात के 2 बज रहे होंगे की सुभाष के रूम से किसी बच्चे की रोने की आवाज़ आने लगी। जिसकी वजह से सुभाष और उसकी पत्नी उसी room में सो रही थी दोनों उठ खड़े हुए। कुछ देर बाद रोना बंद हो गया लेकिन सिसकियों की आवाज़ आरही थी।
अचानक किसी की जोर से आवाज़ आई "मुझे यहाँ से निकालो, मै ज़िंदा हूँ" सुभाष की उस संदूक पर नज़र गयी । वो आवाज़ वही से आरही थी। वो डरते डरते उस संदूक के पास पहुँचा। उसको ऐसा लगा जैसे उस संदूक मे कोई छोटा बच्चा हो। सुभाष को कुछ समझ नहीं आरहा था कि आखिर वो क्या करे। वो उस रात उस कमरे से हट कर दूसरे कमरे में सोया। सुबह होते ही उसने एक ओझा को बुलवा लिया और उस संदूक के बारे में बताया। ओझा ने बताया कि इस संदूक में एक बच्चे की आत्मा कैद है। जो बहार निकलना चाहती है। सुभाष ने उस ओझा से पूछा की अब क्या किया जा सकता है। तो ओझा ने कहा कि पहले इस बच्चे की आत्मा को इस संदूक से निकालने से पहले हमें ये जानना होगा की आखिर इस बच्चे की मौत कैसे हुई। तभी मैं कुछ कर सकता हूँ।
सुभाष ने उसी वक़्त उस मकान के dealer को वहाँ बुलवा लिया और इस संदूक के बारे में पूछा । ये पूछते ही dealer ने जवाब दिया की इसी संदूक की वजह से आज तक किसी ने इस माकन को किसी ने नहीं ख़रीदा। जो भी इस मकान ने आता था वो इस संदूक से आने वाले आवाज़ से डर कर भाग जाता। उसने बताया कि करीब 12 साल पहले इस मकान में ऐसा कुछ नहीं होता था। उस वक़्त इस मकान का मालिक अपने पत्नी और दो बच्चो के साथ रहता था। अचानक ऐसा कुछ हुआ की उनका एक बच्चा रहस्मय तरीके से गायब हो गया। उसको बहुत ढूंढा गया परंतु वो नहीं मिला जिससे उसके माता पिता ने हार मान कर इस मकान को छोड़ कर चले गए।
Dealer जो बताया उसको सुन कर सुभाष के मन के कुछ प्रश्न उठे। की कही इस संदूक में जिस बच्चे की आत्मा कैद है क्या वो वही बच्चा तो नहीं जो 12 साल पहले खो गया था? और अगर वो वही बच्चा है तो आखिर इसकी मौत कैसे?
अभी तक ये राज़ बना हुआ है और जब तक ये रहस्य बना रहेगा तब तक न ही उस आत्मा को आज़ाद किया जा सकता है और न उस रहस्यमय संदूक का राज़ खुलेगा।
तो दोस्तों कैसी लगी आपको ये कहानी मुझको comment द्वारा बताए और इस कहानी को लेकर चर्चा जरूर करे। और भी भूत प्रेत की कहानी के लिए हमारा blog पढ़ते रहे।
Thankyou
एक रहस्यमय संदूक की कहानी - बेस्ट हॉरर स्टोरी।
Reviewed by Blogger
on
07:53
Rating:
Hey Can I Use this Story
ReplyDelete