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स्टेशन पर भटकती आत्म

जगह गोरखपुर
मै अपने दोस्त राजीव के साथ घर से मुम्बई के लिये निकल रहा था। हमने packing कर ली थी बस निकलने की देरी थी। राजीव ने कहाँ की हमे जल्दी निकलनी चहिये नही तो ट्रेन छूट जायेगी। हमारी ट्रेन रात के 12:30 की थी। ट्रेन गोरखपुर के मैन स्टेशन पर आने वाले थी। हमे घर से निकलने मे देरी हो गयी । और जिसका डर था वही हुआ।
हम स्टेशन 1 बजे पहुँचे और ट्रेन मिस हो चुकी थी। अब हमे कूछ समझ नही आरहा था की क्या किया जाये । क्युकी मुम्बई जाना ज़रूरी था।

हमने वहाँ tt से पूछा तो उसने बताया की मुम्बई जाने की अब कोई ट्रेन नही है और अगली ट्रेन कल रात को है । tt ने बताया की जो ट्रेन तुमसे छूटी है तुम उसे दुबार पकड़ सकते हो ।
हमने पूँछ कैसे ?
उसने बताया की अभी तुम्हरी ट्रेन आगे जा कर एक लोकल स्टेशन पर रुकेगी । उस स्टेशन का नाम "माहू junction" है । तुम लोग वहाँ पर जा कर उस ट्रेन को पकड़ सकते हो। हम लोग निकलने ही वाले थे तो tt ने हमे रोक लिया। उसने बताया की तुम लोग जा तो रहे हो पर वहाँ पर कोई नही जाता। वो स्टेशन बिल्कुल सुनसान रहता है और मेरा कहना है की तुम भी न जाओ।

हमने हेरानी से पूछा की ऐसा क्यू ? tt ने बताया की मुझे भी कूछ पक्का कारण पता तो नही है पर वहाँ के लोग केहते है की वहाँ एक औरत की आत्मा घूमती है। और वहाँ 7 बजे के बाद कोई कर्मचारी भी नही रहता सब लोग वहाँ से चले जाते है। उस औरत को बहूत से लोगो द्वार देखा गया है और वहाँ बहूत से दुर्घटना होने की वजह से उस स्टेशन पर कोई नही जाता। पर हम कहाँ मानने वाले थे। सच कहूँ तो मुझे भूत प्रेत मे यकीन था और मुझे इनसब से कूछ डर भी लगता था। पर मुम्बई भी जान उतना ही ज़रूरी था। हम क्या करते और स्टेशन के लिये ऑटो पकड़ लिया।

मन मे डर भी था। हम स्टेशन के बाहर पहुँच चूके थे। जैसे ही हम अंदर गये तो नजारा बहूत डरावना था । स्टेशन पर कोई नही था। यहाँ तक की lights तक भी चालू नही थे । हर जगह अँधेरा था । ठंड भी बहूत थी और तेज हवा चल रही थी । हम लोग बस ट्रेन का wait कर रहे थे। वहाँ कोई पूछताछ करने के लिये भी नही था ।

Tt की बात मेरे दिमाग मे गूँज रही थी। मै बार बार स्टेशन पर यहाँ वहाँ देख रहा था। ट्रेन का कूछ पता ठिकाना नही था। हम दोनो एक दूसरो से बात करने लगे की मुम्बई जा कर सबसे पेहले क्या क्या करना है। अभी हम बात कर ही रहे थे तो हमे स्टेशन पर एक आवाज़ सुनाई दी।
आवज़ सुनते ही हमने बाते करना बंद कर दी अब हम उस आवज़ को साफ सुन सकते थे। आवज़ किसी औरत की थी।
हम यहाँ वहाँ देखने लगे। मेने देखा की एक औरत जिसने काले रंग की साड़ी पेहन रखी थी। वो हमारे तरफ़ आ रही है। वो तेज चल कर हमारी और आ रही थी। उसको देख कर हम भगना चाहते थे पर हमारे पेर सुन पड़ गये थे।

वो औरत हमारे पास आगई थी । जिसको हम भूत समझ रहे वो एक 40 की उम्र की एक औरत थी। उसने कहाँ की आप लोग यहाँ क्या कर रहे हो। मेने कहाँ की हम लोग ट्रेन के लिये इंतजार कर रहे है। उस औरत ने कहाँ की ट्रेन को आने मे अभी time है। तुम लोग मेरे साथ चलो मे स्टेशन के पास ही रेह्ती हूँ। जब ट्रेन आजायेगी तो चले जाना। मेने उन्हे मना कर दिया। मेने कहाँ की कोई बात नही हम यहाँ इंतजार कर लेंगे। पर वो बार बार चलने के लिये कहने लगी। मेने राजीव की और देखा पर वो पता नही क्यू किसी पुतले की तरह खड़ा था कूछ नहीँ बोल रहा था।

तभी हमने देखा की ट्रेन आरही है। हम लोग ट्रेन के अंदर छड़ गये। मेने पीछे मूड कर देखा तो वो औरत वहाँ नहीँ थी। मैने सोचा की शायद वो चली गयी होगी। हम लोग बेठ चुके थे। तभी अचानक राजीव डरा हुआ लगने लगा। मैने पूछा की क्या हूँ तुझे। उसने बताया की क्या तूने उसके पेर देखे। मैने कहाँ नहीँ क्यू ?
उसने कहाँ की मेने उसके पेर देखे उसके दोनो पेर उल्टे थे। मैने कहाँ की तूने पेहले क्यू नही बताया । वो कहने लगा की उसके पेर देखते ही मेरे मुँह से कूछ नही निकल रहा था ।
तभी ट्रेन का tt आगया हमे देख की ये वही tt था जो पेहले मिला था। उसने हमे देखते कहाँ की तुम लोगो को कोई दिक्कत तो नही हुई।
मेने कहाँ नही बस स्टेशन पर एक औरत मिली।
ये सुनते ही tt ने कहाँ की क्या उसने काली साड़ी पहन रखी थी? मैने धीरे से बोला...हाँ।

ये सुनते ही उसने कहाँ की वो औरत और कोई नहीँ वही भटकती हुई आत्म थी। ये सुनते ही मै हक्का बक्का रेह गया। मुझे स्टेशन की सारी बाते याद आने लगी की मतलब जो मेरे पास खड़ी थी वो एक आत्म थी।

आज भी ये बात याद करके मे डर जाता हूँ।
तो दोस्तो कैसी लगी कहानी comment मे ज़रूर बताये। ताकी और कहानियाँ आप तक ला सकु।
धन्यवाद।

स्टेशन पर भटकती आत्म स्टेशन पर भटकती आत्म Reviewed by Blogger on 10:53 Rating: 5

1 comment:

  1. Mahila bhoot hi milta hai aur kya purush bhoot nahi milta hai

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