दोस्तों ये कहानी दो प्रेमियों की है जो एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। वे दोनों एक गाँव में रहते थे। लड़की का नाम मंगला था व लड़के का रामू नाम था। रामू एक चरवाहा था। दोनों के प्यार के चर्चे पूरे गाँव में मशहूर थे। लेकिन दोनों के माता-पिता इनके प्यार के खिलाफ थे व उन्होने इनके मिलने जुलने पर भी रोक लगाई हुई थी। लेकिन जब रामू अपने भेंशों और बकरियों को चरने के लिए पहाड़ियों की तरफ ले जाता था तो उसके बांसुरी की धुन सुन कर मंगला उसके पीछे खिची चली जाती है। फिर वे उन भेशों और बकरियों को छोडकर चलते – चलते दोनों एक पहाड़ी पर इक्कटे होते थे। वहाँ पर वो नाचते - गाते, खाते - पीते व सावन के महीने में झूला भी झूलते थे। उसके बाद वो भेंशों – बकरियों को लेकर अपने – अपने घर लॉट आते थे। उनका प्यार दिन ब दिन बढ़ता ही जा रहा था। ऐसा कोई दिन नहीं होता, जब वो एक दूसरे से मिले बिना रह पाते थे। लेकिन अकसर ऐसा होता है की कुछ लोग प्यार को देख नहीं पाते हैं और प्रेमियों को नुकसान पाहुचाने के चकर में रहते हैं। उन प्रेमियों के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। एक दिन जब वो उस पहाड़ी पे किसी पेड़ के नीचे इक्कटे झूला झूल रहे थे तो कुछ समाज के सरारती तत्वों ने उन्हे सदा के लिए मोत की नींद सुला दिया।
लेकिन मरने के बाद उन दोनों की रूहें वहीं भटकती रहीं। और आज भी उस स्थान पर लोंगों को उनकी मोदुदगी का अहसाह होता है। और कई लोंगो ने तो वहाँ से रात को बांसुरी की आवाज़ें भी सुनी है। लोंगों का कहना है की आज भी वो प्रेमी युगल वहाँ पर झूला झूलते हैं। अभी भी लोंगों को कभी – कभी वे दोनों नज़र आते है उस जगह पर इसलिए शाम होने के बाद डर के मारे वहाँ पर कोई भी नहीं आता - जाता। ये जगह उनके नाम से ही मशहूर हो कर रह गई। इस तरह सच्चा प्यार करने वाले मर के भी अमर हो गए। सही कहते हैं की सच्चा प्यार मर के भी नहीं मारता। मोती और मंगला मरने के बावजूद भी एक दूसरे से नहीं बिचड़े। ये कहानी मेरे दोस्त के गाँव की है जिसे वहीं के किसी बड़े बुजुर्ग ने उसे सुनाई थी। तो दोस्तों आपको ये कहानी कैसी लगी Comments के माध्यम से जरूर बताएं ...धन्यवाद !

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